द फॉलोअप डेस्क
चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ का आज यानी 7 नवंबर को तीसरा दिन है। इस दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है अर्थात् डूबते हुए सूर्य की पूजा की जाती है। सूर्य उपासना का यह पावन पर्व चार दिनों तक चलता है, जिसमें पहला अर्घ्य कार्तिक मास की षष्ठी तिथि (इस साल 7 नवंबर) को दिया जाता है। इस दिन व्रती दिन भर निर्जला व्रत रखते हैं और शाम के समय पानी में खड़े होकर भगवान सूर्य की आराधना-उपासना करते हैं। इसके बाद श्रद्धालु लोटे में जल और दूध भरकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। झारखंड में पहले अर्घ्य के दिन सूर्यास्त का समय 5 बजकर 8 मिनट बताया जा रहा है। वहीं, कल उदयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जिसके साथ यह पवित्र पर्व खत्म होगा। छठ पर्व के अंतिम दिन यानी कार्तिक मास की सप्तमी तिथि को सूर्योदय 6 बजकर 32 मिनट पर होगा। इकलौता ऐसा पर्व जिसमें होती है डूबते सूर्य की उपासना
बता दें कि छठ एकमात्र ऐसा पर्व है, जिसमें अस्ताचलगामी यानी डूबते सूर्य की उपासना की जाती है। इसके पीछे की मान्यता है कि इस समय भगवान सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, इसीलिए प्रत्यूषा को अर्घ्य दिया जाता है। वहीं, कहा जाता है कि शाम के समय सूर्य देव की आराधना करने से जीवन में संपन्नता आती है। जानकारी हो कि अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने से हर तरह की परेशानी दूर होती है। इसके साथ ही संतान की प्राप्ति भी होती है और संतानवान लोगों की संतान व परिजनों का कल्याण होता है। इस दिन अस्ताचलगामी सूर्य यानी सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य देने का विशेष लाभ होता है कि इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है। साथ ही व्यक्ति की आयु लंबी आयु होती है और आर्थिक संपन्नता आती है। कहा जाता है कि विद्यार्थियों को भी अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए, इससे उन्हें उच्च शिक्षा में लाभ मिलता है।